मदर्स डे स्पेशल: तभी भगवान् के समान होती है माँ
भगवान हर जगह नहीं होता इसलिए उसने माँ बनाई| मैं जब भी यह सूत्र वाक्य सुनता हूँ तो लगता है की शायद यह मेरी माँ के लिए ही कहा गया है| माँ एक ऐसा एहसास होता है जिसका वर्णन शब्दों में करना असंभव है, उसे महसूस ही किया जा सकता है| उस एहसास को जिया ही जा सकता है| शायद भगवान ने माँ बनाकर इस दुनिया को रहने लायक बना दिया है क्योंकि वह माँ ही होती है जो इस संसार में जीवन मूल्यों की रक्षा करती है|
मेरी माँ मेरे लिए हर उस चीज़ का साक्षात् उदाहरण है जिसके लिए उसे भगवान के बराबर दर्ज़ा दिया गया है| संघर्षों में जीवन के मायने ढूढना शायद मेरी माँ ने ही मुझे सिखाया है| आठवी पास, तेरह साल की अबोध अवस्था में जिसकी शादी एक इक्कीस साल के प्लम्बर से करा दी जाए, वह पंद्रह साल में पहले बच्चे और सत्रह साल में दूसरे बच्चे की माँ भी बन जाए तो उसकी बेबसी समझी जा सकती है| फिर सामजिक दंश के रूप में उसे परिवार सहित घर से बाहर भी नकाल दिया जाये, शायद संघर्ष ही जीवन जीने की लालसा भी प्रदान करता है| कुछ ऐसा ही हुआ मेरी माँ के साथ उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दसवी की परीक्षा दी और अच्छे नम्बर से पास भी हो गयी| उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाया और ट्यूशन देते हुए आगे की पढ़ाई जारी करि|
आप समझ सकते हैं कि एक महिला के लिए कितना कष्टकारी होता है जब वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाकर, लोगों से उधार लेकर, समाज के ताने सुनकर भी परिवार का पालन करे और अपनी पढ़ाई भी जारी रखे| लेकिन उनकी दृण इच्छा शक्ति और मेहनत काम आई| यही संघर्ष अंततः उन्हें तीन विषयों में परास्नातक की डिग्रियां दिलाता है और सरकारी स्कूल में शिक्षिका का पद भी| एक आठवी पास महिला का इस तरह से असंभव को संभव बनाना निश्चित रूप से कईयों के लिए प्रेरणा है| मुझे अपनी माँ पर गर्व है! आज जो भी मैं हूँ उसमे उनके इस संघर्ष का बड़ा योगदान है|